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कांग्रेस का लगातार कम होता जनाधार

कांग्रेस का लगातार कम होता जनाधार

 रिपोर्ट समीर गुप्ता पठानकोट पंजाब — हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भंगवत मान ने कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा था कि जिस प्रकार भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल को आज आमजन नकार रहा है, भविष्य में हम अपनी आने वाली पीढ़ी को कहानी सुनाते हुए बताएंगे ” एक थी कांग्रेस”। आईए इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं, देश की आजादी 1947 से लेकर वर्ष 1970 तक कांग्रेस ने भारत पर एकमुश्त राज किया था। फिर चाहे राज्य की सत्ता हो या केन्द्र सम्पूर्ण भारत वर्ष में केवल कांग्रेस का ही राज रहा। 1974 में कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ बिहार से शुरू हुए जेपी आंदोलन की आवाज पूरे देश में सुनाई गई और यहां से देश में राज्य स्तर पर राजनीतिक दलों का उदय होना शुरू हुआ। जेपी आंदोलन ने बिहार और उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद यादव , नीतीश कुमार, जार्ज फर्नांडिस, मुलायम सिंह यादव जैसे दिग्गज नेता पैदा किए। इस दौरान कारवां आगे बढ़ता रहा और बीजू पटनायक, मायावती जैसे नेता राज्य स्तर पर अपने पुरुषार्थ से आगे आए। सबसे महत्वपूर्ण साल 1990 रहा जब लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में रथयात्रा शुरू की। इस बीच में यूपी, बिहार और ओडिशा जैसे बड़े राज्य में सालों-साल सत्ता में रही कांग्रेस हाशिए पर आ गई और भारतीय जनता पार्टी का सही मायने में उदय हुआ। 1999 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में साझा सरकार केन्द्र में बनी और पहली बार विपक्ष ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। अब यह समय था जब देश में गैर कांग्रेस की गूंज सुनाई देने लगी — अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव, बीजू पटनायक, लालू प्रसाद यादव, मायावती और कांग्रेस से अलग हुईंं ममता बनर्जी का नाम देश की राजनीति में आगे बढ़ रहा था। ऐसा लगने लगा कि मानो कांग्रेस का आस्तित्व खत्म होने वाले हैं। इस बीच कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से आग्रह किया कि पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए उन्हें कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए। आखिरकार सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं और 2004 में एक बार फिर से कांग्रेस केन्द्र की सत्ता पर काबिज हुई — गौरतलब है कि यह दौर गंठबंधन का था क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल अपने बलबूते सत्ता में नही आ पा रहा था और देश में विभिन्न पार्टियों की मिली-जुली सरकार रही । ज्यादा मौकों पर यह सरकार अपना कार्यकाल भी पूरा नही कर पाती थी और किसी आपसी मतभेद से अक्सर ऐसा होता रहा जो देश की प्रगति में बहुत बड़ी रूकावट था। वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक डाक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस यूपीए गठबंधन सरकार रही इस दौरान देश में आर्थिक स्थिरता आई और कहीं न कहीं विश्व में भारत की साख भी बढ़ी लेकिन इस दौरान सरकार पर भ्रष्टाचार, मंहगाई और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को लेकर 2014 का चुनाव हुआ और तत्पश्चात नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा एनडीए गठबंधन की सरकार बनी और जो आर्थिक स्थिरता मनमोहन काल में आई थी उसको मोदी सरकार ने आगे बढ़ाने का प्रयास किया। लोगों द्वारा इस प्रयास को सराहा गया और 2019 में कईं दशकों बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते सरकार बनाई। इस दौरान भाजपा ने धारा 370, ट्रीपल तलाक़, अयोध्या राम मंदिर निर्माण और सीएए जैसे अपने वायदों को पूरा किया और सबका साथ सबका विकास को लेकर सरकार आगे बढ़ रही है। इसमें कोई दो राय नही है कि आर्थिक स्थिरता और विदेशी नीतियों के चलते भारत की साख पूरे विश्व में लगातार बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुमार विश्व के सर्वाधिक चर्चित चेहरों में हो रहा है और देश हर फ्रंट पर मजबूत हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो चुका है और बहुत संभव है कि एक बार फिर से केन्द्र में मोदी सरकार एनडीए गठबंधन को जीत प्राप्त हो।‌ मेरा मानना है कि मोदी सरकार को जो देश के एक वर्ग में धारणा बन रही है या विपक्ष द्वारा बनाई जा रही है कि भाजपा सबका साथ सबका विकास नारे के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय को अनदेखा कर रही है इस पर गौर फरमातें हुए आपसी भाईचारे और देशहित में मुस्लिम समुदाय से सीधा संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनसे मन की बात करनी चाहिए ताकि सभी मिलकर भारत को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बना पाएं।‌ इसके अलावा विपक्ष को चाहिए कि यदि वे जनता के बीच अपना जनाधार बढ़ाने चाहते हैं तो उन्हें अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना चाहिए, जो मुद्दे देशहित से जुड़े हैं उन पर व्यर्थ बयानबाज़ी न करें और केवल सकारात्मक सोच से राजनीति चर्चा करें अन्यथा आने वाला समय उनके लिए और अधिक कठिन रहने वाला है।

AKHAND BHARAT NEWS

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